जानुशीर्षासन क्या है- What is Janu Sirsasana in Hindi
जानुशीर्षासन संस्कृत भाषा का शब्द है जहाँ पर ‘जानु ‘ का अर्थ घुटना, ‘शीर्ष ‘ का अर्थ सिर और ‘आसन’ का अर्थ, बैठने, लेटने या खड़े होने की स्थिति। जानुशीर्षासन बैठ कर किये जाने वाले आसनों में एक महत्वपूर्ण योग पोज़ है। वैसे अपने अनगिनत फायदे के कारण शीर्षासन आसनों का राजा माना जाता है लेकिन लाभ के मामले में जाणुशोीर्षासन भी इससे पीछे नहीं। इस आसन को करने के लिए आपका शरीर लचीला होना चाहिए। आज हम यहाँ पर इसके सरल विधि, लाभ और कुछ सावधानियों के बारे में जिक्र करेंगें।
जानुशीर्षासन विधि-Janu Sirsasana Steps in Hindi
- अपने दोनों पैरों को सामने की ओर सीधे फैलाते हुए बैठ जाएँ।
- बाएँ घुटने को मोड़े और इसके तलवे दाहिनी जांघ के पास रखें।
- आपका दायाँ पैर सीधे आगे की ओर जमीन पर फैला हुआ होना चाहिए और बाएँ पैर के घुटने भी
- लम्बी साँस लेते हुए दोनों हाथों को सिर से ऊपर उठाएँ।
- साँस छोड़ते आगे की ओर झुकें और रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए नाक को दायाँ पैर के घुटने से मिलाएं एयर हाथों की अंगुलियों से पैर की अंगुली पकड़े।
- इस स्थिति में धीरे धीरे साँस लें और धीरे धीरे धीरे साँस छोड़े।
- फिर साँस लेते हुए अपनी पहेली अवस्था में आ जाएं
- इस पूरी प्रोसेस को दाएँ पैर के साथ दोहराएँ।
जानुशीर्षासन के लाभ-Janu Sirsasana Benefits in Hindi
- इसके अभ्यास से कंधे, रीढ़, हैमस्ट्रिंग, गर्दन, पेट की मांसपेशियों को बहुत जायदा स्ट्रेच मिलता है जिससे शरीर के लचीलेपन में भी सुधार आता है।
- नियमित प्रैक्टिस से वजन घटाने में मदद मिलती है। खासकर पेट की चर्बी को कम करने में यह अहम भूमिका निभाता है।
- इसके प्रैक्टिस से पेट में दबाव आता है और एंजाइम उत्तेजित करता है जिससे पाचन में मदद मिलती है।
- जानु शीर्षासन, साइटिका कमर दर्द कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- स्पाइन को लचीलापन बनाता है।
- जो लोग दौड़ने के शौक़ीन होते हैं उनके लिए यह एक सर्वश्रेष्ठ योगाभ्यास है।
जानु शीर्षासन के अभ्यास से मजबूत होते हैं जैसे-Janu Sirsasana strengthens body parts in Hindi
- एड़ी
- जांघें
- कंधे
- पिंडली
- हाथ
- पीठ
- टखना
- नाभि
- ग्रोइन
- जांघें
- कंधे
- फेफड़े
- पिंडली
- गले की मांसपेशियां
- गर्दन
जानुशीर्षासन की सावधानियां-Janu Sirsasana Precaution in Hindi
- रीढ़ की हड्डी में दर्द होने पर इस योगाभ्यास न करें।
- अस्थमा के दौरान ये आसन न करें।
- गर्दन में दर्द होने पर इसका प्रैक्टिस न करें।
- कंधे में दर्द में न करें।
- घुटने में दर्द या आर्थराइटिस होने पर नहीं करनी चाहिए।
- हाई ब्लड प्रेशर के मरीज ये आसन न करें।
पहले किये जाने वाले योग-Yoga should be done before Janu Sirsasana in Hindi
- ताड़ासन
- त्रिकोणासन
- उत्तानासन
- बद्ध कोणासन
- अधोमुख श्वानासन
- वृक्षासन
- बालासन
बाद में किये जाने वाले योग-Yoga should be done after Janu Sirsasana in Hindi
- सुप्त वज्रासन
- शवासन
- सेतुबंध आसन
- चक्रासन
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