वीरभद्रासन क्या है -What is Virabhadrasana in Hindi ?
वीरभद्रासन योग को वॉरईयर पोज़ (Warrior Pose) के नाम से भी जाना जाता है। जैसा कि शास्त्रों में कहा गया है की इस आसन का नाम भगवान शिव के अवतार, वीरभद्र, एक अभय योद्धा के नाम पर रखा गया। इस योग के अभ्यास से अनेकों लाभ मिलते हैं जैसे हाथों, कंधो ,जांघो एवं कमर की मांसपेशियों की मजबूती है।
वीरभद्रासन विधि-Virabhadrasana steps in Hindi
इस आसान को कैसे किया जाए, इसकी सरल विधि को यहां पर बताया गया है।
- सबसे पहले आप ताड़ासन से शुरुआत करें।\
- ब अपने दोनों पैरों को एक दूसरे से करीब चार फुट की दूरी पर रखें।
- अब अपनी बाहों को फर्श के समानांतर उठाएं और अपने सिर को बाईं ओर मोड़ें।
- फिर साँस छोड़ते हुए अपने बाएं पैर को 90 डिग्री बायीं ओर मोड़ें। हिप्स और आर्म्स का एंगल एक जैसा यानी 180 डिग्री होना चाहिए।
- इस अवस्था को कुछ देर तक बनाए रखें। यहां पर रुक कर आप अपने हाथों को खीचें।
- अपनी पहली अवस्था में आने के लिए दाहिनी जांघ को ऊपर उठाएं, हाथों को नीचे करें, धड़ को सीधा करें और पैरों को वापस ताड़ासन में ले आएं।
- साँस छोड़ते वक्त दोनों हाथों को बाजू से नीचे लाए।
वीरभद्रासन के लाभ -Virabhadrasana benefits in Hindi
- वीरभद्रासन के अभ्यास से आपके शरीर को मजबूती मिलती है और स्टिफनेस को कम करता है।
- यह आसन आपके घुटनों के लिए बहुत लाभकारी है।
- इसका नियमित अभ्यास किया जाए इसको मेन्टेन करने से वजन कम करने में मदद मिलती है।
- हाथ, पैर और कमर को मजबूती प्रदान करता है।
- कंधो के जकड़न से आपको निजात दिलाता है।
वीरभद्रासन की सावधानियाँ-Virabhadrasana precautions in Hindi
- अगर आप रीढ की हड्डी के बीमारी से पीड़ित है तो इस आसन का अभ्यास न करें।
- उच्च रक्तचाप वाले मरीज़ इस योगाभ्यास करने से बचें।
- गर्भवती महिलाएं इस आसन को करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
- दस्त ग्र्स्त व्यक्ति को यह आसन नहीं करना चाहिए।
- जिनको घुटनों में दर्द है वह इस आसन को करने से बचें।
- जिनको ह्रदय की परेशानी हो उन्हें इस आसन का अभ्यास नहीं करनी चाहिए।
प्रिपरेटरी पोज़-Preparatory pose in Hindi
- ताड़ासन
- त्रिकोणासन
- अधो मुख संवासना
- परिव्रत पार्श्वकोणासन:
- परिव्रत त्रिकोणासन
- प्रसार पदोत्तानासन
- स्तिकासन
वीरभद्रासन वेरिएशन-Virabhadrasana variations in Hindi
इसके निम्न वेरिएशन पाये जाते है।
- बधा वीरभद्रासन
- विनम्र योद्धा मुद्रा
- विपरीत वीरभद्रासन
- रिवर्स वॉरियर पोज़
उत्पत्ति -Origin in Hindi
यह नाम संस्कृत के वीरभद्र जो एक पौराणिक योद्धा है उससे लिया गया है।
एलोरा गुफाओं में प्राचीन गुफा रॉक मूर्तियां, में एक योद्धा-शिव की आकृति दिखाती हैं, जो राक्षसों पर विजय प्राप्त करते हुए मिलती है। इस योग का विपरण हठ योग परंपरा में नहीं मिलती है लेकिन २०वीं शताब्दी के तिरुमलाई कृष्णमाचार्य और उनके छात्र पट्टाभि जोइस की प्रथाओं में इसको स्थान दिया गया है।
वीरभद्रासन टाइप 2-Virabhadrasana type 2 in Hindi
इस आसन के दौरान योद्धा शांत रहता है और लक्ष्य को सीधे देखता है, पिछला पैर जमीन पर जबकि सामने का पैर 90 डिग्री पर रखते हैं। कमर को ज़्यदा से ज़्यदा खोलते हैं। हाथ को ऊपर की ओर खीचें और फैलाएं। धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़े।
लाभ
- पैरों और टखनों को मजबूत बनाता है और इसके लचीलेपन को बढ़ाता है।
- इसको सही तरह से करने पर पीठ दर्द से राहत दिलाता है
- पूरे शरीर को ऊर्जा देता है और सहनशक्ति को बढ़ाता है
- गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद
- पाचन तंत्र में सुधार करता है
- छाती और फेफड़ों के लिए बहुत फायदेमन्द है।
वीरभद्रासन टाइप 3-Virabhadrasana type 3 in Hindi
वीरभद्रासन टाइप 3 में घुटने को थोड़ा मोड़कर संतुलन बनाया जाता है। इस आसन में भुजाओं की स्थिति अलग-अलग हो सकती है जैसे सामने, बाहर दोनों तरफ। इसमें आप अपनी हथेलियों को अपने सामने रख सकते हैं। दूसरा पैर जमीन के समानांतर होना चाहिए।
लाभ
- जांघों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- संतुलन और पूरे शरीर के समन्वय में सुधार करता है
- पाचन में सुधार करता है