अर्ध शलभासन करने का तरीका, फायदे और नुकसान

अगर आपको शलभासन करने में परेशानी हो तो शुरू अर्ध शलभासन से करनी चाहिए। यह एक ऐसा योगाभ्यास है जो आपको शलभासन के लिए तो परफेक्ट बनाता ही है साथ ही साथ पेट के बल लेट कर किये जाने वाले आसनों का प्रैक्टिस भी आसान  कर देता है।  हम यहाँ पर आज इसके आसान तरीके, लाभ, नुकसान और अन्य पहलुओं पर भी चर्चा करेगें।

अर्ध शलभासन करने का तरीका, फायदे और नुकसान
अर्ध शलभासन

 

अर्ध शलभासन करने का तरीका

यहाँ इस आसन के सही विधि और तकनीक के बारे में जानेगें

  • सबसे पहले आप शवासन में लेट जाएं।
  • अपनी आँखें बंद करें और अपने पूरे शरीर को आराम दें।
  • फिर गहरी सांस लें, सांस को रोककर रखतें हुए अपना बायाँ पैर उठाएँ।
  • जितना संभव हो सके अपने दाहिने पैर को जमीन पर रहने दें।
  • जितना हो सके पीठ की मांसपेशियों का प्रयोग करें,
  • अपनी ठुड्डी को आगे की ओर फैलाकर रखें ज़मीन पर, और आपके कंधे यथासंभव नीचे।
  • अंतिम स्थिति को यथासंभव लंबे समय तक बनाए रखने का प्रयास करें
  • सांस छोड़ेंते हुए पैर धीरे धीरे नीचे लेकर आएं
  • फिर यही प्रक्रिया दाएं पैर के साथ दोहराएं।

 

अर्ध शलभासन में सांस की प्रक्रिया

  • गहरी सांस लें, और फिर सांस को रोकते हुए अपना बायाँ पैर उठाएँ।
  • जितना देर तक हो सके इसको मेन्टेन करें।
  • फिर सांस छोड़ते हुए आपने पैर को धीरे धीरे नीचें लेकर आएं।
  • यही प्रक्रिया दूसरे पैर के साथ दुहरायें।
  • यह आसन शलभासन से आसान है इसलिए आप इसे लंबे समय तक कर सकते हैं।

 

अर्ध शलभासन की सावधानियाँ

  • आपका बायां पैर और दाहिना पैर दोनों पुरे प्रक्रिया के दौरान सीधे रहना चाहिए।
  • सबसे पहले बायां पैर ऊपर उठाना चाहिए ताकि पेट के दाहिनी ओर दबाव पड़े और इसका मालिश हो। इस तरह से बड़ी आंत की मालिश की जाती हैऔर कब्ज दूर करने में बहुत मददगार होता है।

 

अर्ध शलभासन के फायदे

  • शलभासन संपूर्ण स्वायत्तता को उत्तेजित करता है तंत्रिका तंत्र, विशेष रूप से पैरासिम्पेथेटिक बहिर्प्रवाह को।
  • यह ह्रदय और श्वसन तंत्र के लिए अच्छा है।
  • पाचन तंत्र पर कार्य करता है
  • रक्त परिसंचरण में सुधार लाता है।
  • पेट के सभी अंगों की मालिश करता है।
  • कमर दर्द कम करने के लिए उम्दा योगाभ्यास है।
  • यह कब्ज को भी दूर करता है।

 

अर्ध शलभासन के नुकसान

यह आसन निम्न अवस्था में नहीं करनी चाहिए।

  • कोरोनरी से पीड़ित
  • थ्रोम्बोसिस
  • उच्च रक्तचाप
  • हर्निया
  • पेप्टिक अल्सर
  • आंतों की बीमारी
  • तपेदिक में
  • कटिस्नायुशूल से पीड़ित
  • रीढ़ की हड्डी में चोट

 

1 thought on “अर्ध शलभासन करने का तरीका, फायदे और नुकसान”

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