सुखासन का अर्थ क्या है-Sukhasana meaning in Hindi
सुखासन एक संस्कृत शब्द है जिसमें सुख का अर्थ है ‘आनंद’, और आसन का अर्थ है ‘योग मुद्रा’। सुखासन एक ऐसी योग अभ्यास है जिसका मुख्य उद्देश्य एकाग्रता, स्थिरता, और मन की शांति प्रदान करना है। यह ध्यान और समाधि के अभ्यास के लिए मन को स्थिर बनाने में सहायक है और शरीर को एक आरामदायक और स्थिर स्थिति प्रदान करने के लिए उम्दा रोल निभाता है।
सुखासन बहुत हद तक सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन और स्वस्तिकासन से मिलती जुलती है।
अगर देखा जाए तो ध्यान के लिए यह सबसे आसान योग मुद्रा है जिसको किसी भी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं। विशेष रूप से वृद्धावस्था के लिए उपयुक्त है। चूँकि इस योग के अभ्यास से साधक को आराम मिलती है इसलिए इसे आराम मुद्रा, सुखद मुद्रा या सभ्य मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है। यहाँ पर हम सुखासन के आसान विधि, फायदे और सावधानी के बारे में विस्तार से जानेंगे।
सुखासन की उत्पत्ति-Origin of Sukhasana in Hindi
हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म प्राय: क्रॉस लेग हाथ योग मुद्रा का व्यापक रूप से ध्यान में उपयोग किया जाता है। सुखासन एक संस्कृत शब्द है जिसमें सुख का संकेत है आराम और आसन का अर्थ है योग मुद्रा। इस आसान का उल्लेख कई महत्वपूर्ण योग ग्रंथों (ग्रन्थ) में किया गया है। इसका उल्लेख १ ९वीं शताब्दी की पुस्तक श्रीतत्त्वनिधि और ४ वीं शताब्दी के दर्शन उपनिषद में किया गया है। रमण महर्षि के अनुसार, यह आत्मज्ञान के लिए सबसे उपयुक्त योग मुद्रा है।
सुखासन करने की विधि-How to do Sukhasana in Hindi
सुखासन एक आसान योग अभ्यास जिसके तकनीक और निर्देश नीचे दिए गए हैं।
- शरीर के सामने पैरों को आगे फैला कर बैठे।
- बाएं पैर को दाहिनी जांघ के नीचे मोड़ो।
- फिर दाएं पैर को बाईं जांघ के नीचे रखें।
- एक आरामदायक स्थिति में अपने सिर, गर्दन और रीढ़ को सीधा रखें।
- अपने हाथों को या तो अपने घुटनों पर या अपनी गोद में रखें। अपनी आँखें बंद करें। अपने पूरे शरीर को आराम दें।
सुखासन की सावधानियां-Sukhasana contraindications in Hindi
सुखासन के contraindications नीचे दी जा रही है
- घुटने की चोट के मामले में इसका अभ्यास नहीं किया जाना चाहिए।
- अगर किसी को साइटिका हो तो इसका अभ्यास न करें कटिस्नायुशूल के मामले में बचें।
- सेक्रल बीमारियों में भी इसका अभ्यास नहीं किया जाना चाहिए।
- स्लिप्ड डिस्क वाले लोग इसके अभ्यास से बचना चाहिए
सुखासन के लाभ-Benefits of Sukhasana in Hindi
वैसे सुखासन के बहुत सारे लाभ है। यहाँ पर कुछ मुख्य फायदे के बारे में बताया जा रहा है।
- यह सबसे आसान और सबसे अच्छा ध्यान योगों में से एक है।
- ध्यान मुद्रा होने से यह शरीर और दिमाग के बीच संतुलन लाने में मदद करता है। यह शरीर में हार्मोनल असंतुलन को नियंत्रित करता है, भावनात्मक संघर्ष, न्यूरोसिस और तनाव को कम करता है।
- इस योग मुद्रा का अभ्यास मस्तिष्क को शांत करने में मदद करता है।
- इस मुद्रा के अभ्यास के दौरान, रीढ़ सीधी होती है जिससे रीढ़ और पीठ मजबूत बनता है ।
- यह एड़ियों और घुटनों को पर्याप्त खिंचाव देता है, इस प्रकार ये शरीर के क्षेत्रों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
- यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र के बीच संतुलन बनाता है।
- इसके नियमित अभ्यास से आपकी पीठ मजबूत होती है।
- इसका मस्तिष्क पर बहुत सुखदायक प्रभाव होता है और यह माइग्रेन, मिर्गी, और अवसाद जैसी बीमारियों को दूर करने में मदद करता है।
सुखासन के नुकसान-Disadvantage of Sukhasana in Hindi
हालांकि सुखासन योग मुद्रा कई शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभों के लिए जान जाता है। हालाँकि, इसके कई खामिया भी है। इस योगाभ्यास में शरीर का अधिकांश वजन फर्श और नितंबों के बीच संपर्क के छोटे क्षेत्र द्वारा समर्थित किया जाता है। जिसके कारण इस जगह पर थोड़ा दर्द होना शुरू हो जाता है। हालांकि, नितंबों के नीचे कुशन का उपयोग करके इसे कुछ हद तक दूर किया जा सकता है।
सुखासन के बारे आष्चर्यचकित तथ्य-Important facts about Sukhasana in Hindi
यह पद्मासन सहित सभी योगों में सबसे पुराना है।
सुखासन बैठने वाले योगाभ्यास के लिए एक उम्दा आसन है।
यह प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास करने के लिए सबसे अच्छे योगों में से एक है।