अर्थराइटिस (गठिया) क्या है । Arthritis in hindi
अर्थराइटिस एक सामान्य स्थिति है, जिसे जोड़ों में दर्द और सूजन के द्वारा वर्गीकृत किया जाता है। यह कई कारकों के कारण है जैसे- आनुवंशिक गड़बड़ी, सूजन, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में परिवर्तन, मेटाबोलिज्म संबंधी परिवर्तन और अन्य। बढ़ती गतिहीन जीवन शैली और मोटापे को इसे बढ़ाने वाले कारकों में शामिल किया गया है जो कि स्थिति को और खराब कर देता है। सभी प्रकार के जोड़ संबंधी रोगों को निम्नलिखित रोग प्रक्रियाओं के संदर्भ में समझा जा सकता है-
- अपक्षयी जोड़ का रोग – आस्टियोअर्थराइटिस, सर्वाईकल अर्थराइटिस
- स्वतः प्रतिरक्षा जोड़ का रोग- रह्यमेटाइड अर्थराइटिस, सोरियाटिक अर्थराइटिस
- उपापचयी जोड़ का रोग- गठिया रूपी अर्थराइटिस
अर्थराइटिस के सामान्य प्रकार । Types of arthritis in hindi
- आस्टियोअर्थराइटिस- यह एक अपक्षयी जोड़ रोग है जिसमें वह उपास्थि जो जोड़ की हड्डियों में हड्डियों की छोर के अवारण के रूप में कार्य करती है उसका क्षय हो जाता है, जिससे दर्द और हड्डियों का आघात होता है क्योंकि हड्डियों की एक दूसरे से रगड़ प्रारंभ हो जाती है। यह गठिया का सबसे आम रूप है।
- रह्यमेटाइड अर्थराइटिस- यह एक स्वप्रतिरक्षा रोग है जिसमें शरीर की असामान्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप जोड़ के अस्तर में सूजन आ जाती है। रह्यमेटाइड अर्थराइटिस सबसे गंभीर और निष्क्रिय करने वाले प्रकारों में से एक है, जिससे महिलाएं ज्यादातर प्रभावित होती हैं।
- गठिया रूपी अर्थराइटिस- यह ज्यादातर पुरुषों को प्रभावित करता है, चयापचय संबंधी गड़बड़ी के कारण होता है जिसमें यूरिक एसिड बढ़ जाता है, जो जोड़ में सूजन पैदा करता है। यह दर्दनाक स्थिति अक्सर छोटे जोड़ों पर आक्रमण करती है, विशेष रूप से बड़ी पैर की अंगुली।
- एंकायलूसिंग स्पांडिलाइटिस- यह एक प्रकार का अर्थराइटिस है जो रीढ़ को प्रभावित करता है। नतीजतन, हड्डियों, स्नायुबंधन और मांसपेशियों को प्रभावित करने वाली दीर्घकालिक सूजन, रीढ़ की हड्डियों की हड्डी का भंजन जो उसे कठोर कर देता है। अन्य समस्याओं में शिराओं और बड़े जोड़ों में सूजन शामिल हैं।
- सर्वाईकल स्पांडिलाइटिस- यह एक प्रकार का अपक्षयी आस्टियोअर्थराइटिस है। यह गर्दन की अस्थियों और जोड़ों को प्रभावित करता है, जो पीड़ा एवं कठोरता की ओर ले जाता है।
- अन्य प्रकार के अर्थराइटिस हैं- फ्राब्रोमायलगिया, लुपुस, प्सोरिएटिक अर्थराइटिस, एंटेरोपैथिक अर्थराइटिस, रिएक्टिव अर्थराइटिस, द्वितीयक अर्थराइटिस, पाॅलीमायलगिया रह्यमेटिका।
अर्थराइटिस के सामान्य लक्षण । Symptoms of arthritis in hindi
- जोड़ों में खिंचाव- उसके अत्यधिक उपयोग के पश्चात अथवा निष्क्रियता।
- जोड़ों में पीड़ा।
- जोड़ों में भारीपन मुख्य रूप से निष्क्रियता के कारण होता है तथा उपयोग होने पर विलुप्त हो जाते हैं।
- गतिविधि में बाधा।
- संबंधित जोड़ों में गर्माहट तथा लालिमा।
- जोड़ सामान्य दिखाई पड़ सकते हैं परंतु जोड़ों के सिरों पर हड्डी की वृद्धि अनुभव हो सकती है।
- प्रमुख रूप से भार वहन करने वाले जोड़ इसमें शामिल हैं।
- जोड़ों में सूजन।
- रह्यमेटाइड अर्थराइटिस में जोड़ों में विकृति दिखाई पड़ सकती है।
- अन्य सामान्य लक्षण हैं: थकान, मंद ज्वर, मांसपेशीय पीड़ा, भूख में कमी, अवसाद, ठंडे और/अथवा पसीनेयुक्त हाथ और पैर।
अर्थराइटिस का इलाज आहार से। Arthritis management through diet in hindi
- जोड़ों के क्षय को कम करने के लिए उपचार/प्रबंधन को ठीक समय पर प्रारंभ किया जाना चाहिए।
- चूंकि मोटापा अर्थराइटिस पर विपरीत प्रभाव डालता है, अधिक वजन वाले व्यक्ति को धीरे-धीरे अपना वजन कम करना चाहिए।
- तले हुए भोजन से बचना चाहिए।
- पेय पदार्थ को अधिक मात्रा में ग्रहण करना चाहिए।
- थोड़ी मात्रा में दूध अपने आहार में शामिल करें।
- लवण युक्त पदार्थ को कम मात्रा में लें तथा सोडियम अवधारण की स्थिति में ऊपर से अतिरिक्त लवण खाने से दूर रहें।
- गठिया की स्थिति में प्यूरिन की अधिक मात्रा से युक्त पदार्थों जैसे मछली, अण्डे, मटर, दाल, सूखी फलियों, लाल मांस से दूर रहें।
- वसा युक्त पदार्थों से दूर रहें।
- कैफीन और श्वेत शर्करा से दूर रहें जो पीड़ा और सूजन में वृद्धि करते हैं।
अर्थराइटिस का इलाज योग से से। Arthritis management through Yoga in hindi
- क्रियाएं- कपालभाति, कुंजल
- जोड़ संबंधी सरल चालन
- सूक्ष्म व्यायाम के चुने हुए अभ्यास- ग्रीवाशक्ति विकासक, पूर्णभुजाशक्ति विकासक, मणिबंध शक्तिविकासक, करतलशक्ति विकासक, जानुशक्तिविकासक, गुल्फ-पद-पृष्ठ-पद-तल-शक्ति-विकासक
- योगासन- ताड़ासन, कटिचक्रासन, कोणासन, उध्र्वहस्तोत्तानासन, उत्तानपादासन, पवनमुक्तासन, वक्रासन, गोमुखासन, मर्जरी आसन, उष्ट्रासन, भद्रासन, भुजंगासन, मकरासन, शवासन।
- प्राणायाम- नाड़ीशोधन प्राणायाम, सूर्यभेदी प्राणायाम, भ्रामरी
- विशेष अभ्यास- योग निद्रा
- ध्यान
अर्थराइटिस से बचाव । Prevention of arthritis in hindi
- जोड़ों की देखभाल- नियमित व्यायाम करें तथा जोड़ों पर अत्यधिक दबाव न दें। दौड़ने तथा भार उठाने जैसे जोड़ों पर दबाव डालने वाले व्यायामों से बचें।
- सही मुद्रा- हर समय उचित मुद्रा बनाए रखने का प्रयास करें तथा एक ही मुद्रा में अधिक समय तक रहने से बचें। यदि मेज़ पर बैठकर कार्य करते हों तो यह सुनिश्चित करें कि कुर्सियाँ उपयुक्त ऊँचाई पर स्थित हों तथा कार्य के मध्य नियमित अंतराल पर अवकाश लेकर थोड़ा टहल लें।
- मांसपेशियों में उपयुक्त कसावट बनाए रखें- मांसपेशियाँ जोड़ों को सहारा देती हैं, इसलिए सुदृढ़ मांसपेशियाँ जोड़ों को स्वस्थ रखने में भी सहायक होंगीं।
- लक्षणों की तरफ ध्यान दें, डाॅक्टर से मिलें तथा उपयुक्त जांच करवाएं- उचित उपचार प्राप्त करने के लिए उचित जाँच की आवश्यकता होती है। समय पूर्व उपचार का अर्थ है कम क्षति एवं कम पीड़ा।
- वज़न की कमी हेतु प्रयास करें- हर अतिरिक्त किलो जिसे हम वहन करते हैं घुटनों और कूल्हों के तनाव में बदल जाता है। अत्यधिक वज़न का अर्थ है अधिक पीड़ा, जिसे अर्थराइटिस के प्रकार से कोई संबंध नहीं है।
जोड़ों की देखभाल कैसे करें । Home remedies for arthritis in hindi
- जोड़ों का बचाव- जोड़ों को अत्यधिक तनाव देने से बचें। घर और कार्य क्षेत्र में सहायक उपकरण कार्य को आसान बना सकते हैं।
- काम और आराम के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास करें।
- स्वयं मालिश- मांसपेशियों और जोड़ों की मालिश करें क्योंकि यह मांसपेशियों को आराम प्रदान करता है और रक्त संचार बढ़ाता है।
- जोड़ों के आसपास गर्म स्नान द्वारा, गर्म पानी की बोतल द्वारा अथवा गर्म पैड द्वारा कठोरता को कम किया जा सकता है।
- नारंगी का रस- एक अनुसंधान में आस्टियोअर्थराइटिस के खतरे और उसकी वृद्धि को रोकने में विटामिन सी और अन्य एंटीआॅक्सीडेंट का महत्त्व प्रदर्शित किया गया है। नारंगी तथा अन्य खट्टे फल फोलिक एसिड से अच्छे स्त्रोत हैं, जो रह्यमेटाइड अर्थराइटिस की औषधि मेथोट्रेक्सेट के दुष्प्र्रभावों को कम करने में सहायक हो सकता है।
- रोजाना टहलें- अर्थराइटिस से ग्रसित व्यक्तियों के लिए टहलना एक आदर्श व्यायाम है। यह कोमल जोड़ों को क्षतिग्रस्त किए बिना कैलोरी को कम करता है, मांसपेशियों को दृढ़ करता है और अस्थियों को सघन करता है।
- गर्म पानी से स्नान करें-सोने से पूर्व गर्म पानी से स्नान करना मांसपेशियों के तनाव को कम कर सकता है तथा जोड़ों के दर्द में आरामदायक हो सकता है।
- पैरों को खींचें- खींचने के व्यायाम करना जोड़ों और मांसपेशियों को लचीला बनाने का सरल तरीका है। यह तनावमुक्त करता है तथा दैनिक कार्य करने में सक्षम बना सकता है।
- धूम्रपान से बचें- धूम्रपान लूपूस तथा रह्यमेटाइड अर्थराइटिस से होने वाले जटिलताओं के खतरे को बढ़ा सकता है। यह व्यक्ति को आस्टियोपोरोसिस तक ले जा सकता है।