अस्थिसंहार आयुर्वेद की बात जब भी हम करते हैं तो हमारे सामने में टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने का हल और अस्थि संबंधी बीमारियों को ठीक करने का जरिया सामने आता है। इसकी प्रकृति कड़वा, गर्म, और रूखा होता है। इसमें कफवातशामक, पाचक और शक्तिवर्द्धक प्रकृति होती है। अस्थिसंहार कृमि, पाइल्स, नेत्ररोग, अल्सर, में प्रभावी है।
अस्थिसंहार को कैसे पहचाने
यह लगभग 8 मी लम्बी लता है जो देखने में अस्थि शृंखला जैसी प्रतीत होती है। इनके पुराने तने में पत्ते नहीं होते हैं।
अन्य भाषाओं में अस्थिसंहार के नाम- Different Names of Asthisanhar
- वानास्पतिक नाम: Cissus quadrangularis Linn.
- अंग्रेजी: Bone setter
- Sanskrit: ग्रन्थिमान्, अस्थिसंहार, वज्राङ्गी
- Hindi-हड़जोड़, हड़संघारी, हड़जोड़ी, हड़जोरवा
- Telugu: वज्रवल्ली, नाल्लेरु, नुललेरोतिगे
- Bengali: हाड़भांगा, हरजोर
- Marathi: कांडबेल
- Malayalam: बननालमपरान्ता
- Persian: हर
अस्थिसंहार के फायदे- Hadjod Benefits in Hindi
अस्थिसंहार हड्डियों को जोड़ने के अलावा अनेक बीमारियों के लिए बहुत मुफीद है।
- ब्रोंकियल अस्थमा में: ब्रोंकियल अस्थमा में यह बहुत लाभकारी है। इसके 10 मिली रस को गुनगुना कर पिलाने से अस्थमा के मरीजों के लिए फायदेमंद शाबित होता है।
- पाचन क्रिया संबंधी समस्याओं में फायदेमंद: पेट की समस्याएं में इसके औषधीय गुण घरेलू इलाज का काम करता है। 5-10 मिली हड़जोड़ पत्ते के रस में मधु मिलाकर पिलाने से पाचन क्रिया से संबंधित समस्याओं से आराम मिलता है।
- पाइल्स से दिलाये राहत: पाइल्स के बीमारी में हड़जोड़ का इस्तेमाल बहुत ही फायदेमंद होता है।
- डिलीवरी के बाद के दर्द से राहत: इसके तना एवं पत्तों को पीसकर लेप करने से डिलीवरी के दर्द से आराम मिलता है।
- ल्यूकोरिया में फायदेमंद: 10 मिली हड़जोड़ रस का सेवन करने से योनि से सफेद पानी आना कम हो जाता है।
- गठिया के दर्द से राहत: हड़जोड़ का छिलका, उड़द की दाल को पीस कर और तिल तेल में छान कर सेवन करने से गठिया के दर्द से राहत मिलती है।
- हड्डियों को जोड़ने में फायदेमंद: टूटी अस्थि पर हड़जोड रस का लेप करने से टूटी हड्डी जुड़ जाती है।
- रीढ़ की हड्डी के दर्द से राहत: रीढ़ की हड्डी के दर्द में हड़जोड़ के पत्तों को गर्म करके सिंकाई करने से दर्द में आराम मिलता है।
- मोच का दर्द: मोच के दर्द में यह लाभकारी है अगर हड़जोड़ रस में तिल तैल मिलाकर और उसे गर्म करके लगाया जाए।
- घाव में फायदेमंद: जले हुए घाव या कीट के काटने पर हुए घाव में हड़जोड जड़ के रस का लेप लाभप्रद होता है।
- पाचन शक्ति को बढ़ाता है: यह पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है और साथ ही साथ भूख को भी बढ़ाता है।
- कैंसर में सहायक: विशेषज्ञों का कहना है कि हड़जोड़ का सेवन से कैंसर की रोकथाम में मदद मिलती है।
- ब्लीडिंग को रोकता है : कटे या छिले से ब्लीडिंग होने पर यह लाभकारी है।
- शरीर के दर्द से आराम: सोंठ, काली मिर्च तथा अस्थिसंहार प्ररोह पेस्ट (1-2 ग्राम) का सेवन करने से शरीर के दर्द में आराम मिलता है।
अस्थिसंहार के उपयोगी भाग-Useful Parts of Hadjod
- तना
- पत्ता
- जड़, औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता है।
अस्थिसंहार का इस्तेमाल – How to Use Hadjod in Hindi?
अस्थिसंहार आपको पाउडर, कैप्सूल, और सिरप के रूप में आसानी से मिल जाएंगे। आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार
- 2-4 मिली तने जड़ का रस
- 1-2 ग्राम पेस्ट
- 5-10 मिली पत्ते का रस
विभिन्य बीमारी के लिए उपयोग किया जा सकता है।
अस्थिसंहार कहां उगाया जाता है-Where Hadjod is grown in Hindi?
यह उष्ण प्रदेशों में पाया जाता है। जहाँ तक बात है भारत की तो यह पश्चिमी हिमालय में उत्तराखण्ड से लेकर पश्चिमी घाट के वनों तक यह पाया जाता है।
अस्थिसंहार की सावधानियाँ -Hadjod precautions in Hindi
- प्रेग्नेंसी और ब्रेस्टफीडिंग में इसका सेवन नही करनी चाहिए।
- जिनका शुगर लो रहता है उनको इसका सेवन नहीं करनी चाहिए।
- शुगर हाई वालों को भी इसका सेवन नही करनी चाहिए।
- यदि आपको कोई रोग है तो इसका सेवन करने से बचें।
अस्थिसंहार साइड इफेक्ट्स-Hadjod side effects in Hindi
- गैस बनना
- डायरिया
- मुंह सुखना
- सिरदर्द
- नींद न आना
अस्थिसंहार का इस्तेमाल-Uses of Hadjod in Hindi
- बवासीर
- मोटापा
- एलर्जी
- अस्थमा
- गाउट
- भूख न लगना
- अपच
- पेट में कीड़े
- इंटरनल ब्लीडिंग
- लिकोरिया
- डायबिटीज
- अर्थराइटिस
- स्कर्वी
- मलेरिया
- हाई कोलेस्ट्रॉल
अस्थिसंहारके गुण – Hadjod properties in Hindi
इसके निम्नलिखित गन होते हैं।
- एनलजेसिक
- एंटीऑक्सीडेंट
- एंटी-अल्सर
- एंटी-इंफलामेटरी
- एंटी-ओस्टियोपोरोटिक