आयुर्वेद: परिभाषा, इतिहास, उद्देश्य, विशेषताएँ और फायदे

आयुर्वेद की परिभाषा क्या है?

आयुर्वेद दो शब्द मिलकर बना है: आयु और वेद जिसका अर्थ होता है  ‘दीर्घायु का विज्ञान’। यह एक मुख्य चिकित्सा प्रणाली है और आज पुरे विश्व में इसका अत्यधिक प्रचलन है। अगर सही माने में देखा जाए तो आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है।  यह आयुर्विज्ञान की एक शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने से है। आयुर्वेद के अनुसार त्रिदोष – वात, पित्त, कफ का असंतुलन रोगों का कारण है। आयुर्वेद के तीन स्कन्ध- हेतु , लिंगा और औषध है और वही इसके आठ अंग – कायचिकित्सा, शल्यतन्त्र, शालक्यतन्त्र, कौमारभृत्य, अगदतन्त्र, भूतविद्या, रसायनतन्त्र और वाजीकरण है।

आयुर्वेद: परिभाषा, इतिहास, उद्देश्य, विशेषताएँ और फायदे
आयुर्वेद

आयुर्वेद का इतिहास

ऋग्वेद जो ईसा के 3,000 से 50,000 वर्ष पूर्व का रचना माना जाता है उसमें भी आयुर्वेद को अत्यधिक महत्त्व दिया गया है।  वहीं चरक, सुश्रुत और काश्यप भी आयुर्वेद के बारे में बहुत कुछ कहा है। अश्विनीकुमार, धन्वंतरि, दिवोदास, नकुल, सहदेव, अर्कि, च्यवन, जनक, बुध, जावाल, जाजलि, पैल, करथ, अगस्त्य और अत्रि आयुर्वेद के आचार्य हैं।  अग्निवेश, भेड़, जतुकर्ण, पराशर, सीरपाणि और हारीत आयुर्वेद के छः शिष्य हैं। ब्रह्मा ने आयुर्वेद को आठ भागों में बाँटा: शल्यतन्त्र (शल्यक्रिया), शालाक्यतन्त्र (कर्णनासाकंठ विज्ञान), कायचिकित्सा (सामान्य दवा), भूतविद्या तन्त्र (मनश्चिकित्सा), कौमारभृत्य (बालचिकित्सा), अगदतन्त्र (विषविज्ञान), रसायनतन्त्र (जराविद्या और जराचिकित्सा), वाजीकरणतन्त्र (पौरुषीकरण और कामोद्दीपक).

 

आयुर्वेद की विशेषताएँ

कहा जाता है कि आयुर्वेदीय चिकित्सा एक सर्वांगीण विधा है जो शारीरिक तथा मानसिक बीमारियों को ठीक करने के लिए अहम रोल अदा करता है।

  • आयुर्वेदिक औषधियों को प्राय जड़ी-बूटियों, पौधों, फूलों एवं फलों से प्राप्त की जातीं हैं।
  • आयुर्वेदिक औषधियों का कोई दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिलता है।
  • बहुत से पुराने रोगों के लिए आयुर्वेद प्रभावी है।
  • आयुर्वेद बहुत सारे रोगों के लिए वरदान है।
  • रोगों को ठीक करने के लिए आयुर्वेद भोजन तथा जीवनशैली पर बहुत ध्यान देता है।
  • आयुर्वेदिक औषधियाँ स्वस्थ लोगों के लिए भी उपयोगी हैं।
  • यह एक ऐसी चिकित्सा पद्धिति है जो अपेक्षाकृत सस्ती है।

 

आयुर्वेद का उद्देश्य

आयुर्वेद का उद्देश्य है स्वस्थ के स्वास्थ्य की रक्षा तथा रोगी की रोग से दूर करना है। अब बात आती है कि स्वस्थ आदमी की स्वस्थ्य की रक्षा कैसे की जाए।  इसके लिए नियमित आहार-विहार, व्यायाम, शौच, स्नान, शयन,  दिनचर्या, रात्रिचर्या एवं ऋतुचर्या  पर ध्यान देना चाहिए।  और इसके साथ ही साथ मल, मूत्र आदि को न रोकना, ईर्ष्या, लोभ, अहंकार से बचना, समय-समय पर दोषों को शरीर से निकालने पर भी ध्यान देना चाहिए। रोगी के विकारों को दूर करने के लिए हमें रोग के हेतु (कारण), पूर्वरूप, रूप, पैथोजेनिसिस तथा थिराप्युटिकटेस्ट्स पर ध्यान देना चाहिए।

 

आयुर्वेद के फायदे

वैसे आयुर्वेद के अनगिनत लाभ है लेकिन हम यहां पर कुछ महत्वपूर्ण फायदे के बारे में जिक्र करेगें।

  • आयुर्वेदिक जीवनशैली अपनाकर आप बहुत  हद तक अपने वजन पर कण्ट्रोल पा सकते हैं।
  • शरीर के वजन को मेन्टेन करने के साथ साथ यह आपके त्वचा और बाल के लिए भी बहुत उपयोगी है।
  • आयुर्वेदिक इलाज से आप अपने शरीर को शांत, डिटॉक्सिफाई और कायाकल्प करने में बहुत हद तक सफलता पा सकते हैं।
  • चिंता को दूर रखने के लिए आयुर्वेद में शिरोधारा, अभ्यंगम, शिरोभ्यंगम, और पद्यभंगम जैसे क्रियाओं को अपनाने की सलाह दी जाता है।
  • यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और साथ ही साथ विषाक्त पदार्थों को भी शरीर से बाहर निकालता है।
  • आयुर्वेद पंचकर्म शारीरिक विषाक्त पदार्थों को निकालने में अहम रोल अदा करता है।
  • आज कल रिसर्च से पता चलता है की आयुर्वेद कैंसर, निम्न रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल जैसे बीमारियों के लिए भी कारगर है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आयुर्वेद अहम भूमिका निभाता है।

 

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