भुजंगासन क्या है – Bhujangasana meaning in Hindi
भुजंगासन को कोबरा पोज़ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर के अगले भाग को कोबरा के फन के तरह उठाया जाता है। भुजंगासन की जितनी भी फायदे गिनाए जाएं कम है। भुजंगासन का महत्व कुछ ज्यादा ही है क्योंकि यह सिर से लेकर पैर की अंगुलियों तक फायदा पहुंचाता है। अगर आप इसके विधि को जान जाएं तो आप सोच भी नही सकते यह शरीर को कितना फायदा पहुँचा सकता है। लेकिन करते समय आपको इसकी सावधानियां के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए।
भुजंगासन कैसे करें – Bhujangasana steps in Hindi
- आप सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं।
- अब अपने हथेली को कंधे के सीध में लाएं।
- दोनों पैरों के बीच की दुरी को कम करें और पैरों को सीधा एवं तना हुआ रखें।
- अब साँस लेते हुए शरीर के अगले भाग को नाभि तक उठाएं।
- ध्यान रहे की कमर पर ज़्यदा खिंचाव न आये।
- अपने हिसाब से इस आसान को बनाए रखें।
- योगाभ्यास को धारण करते समय धीरे धीरे स्वाँस लें और धीरे धीरे स्वाँस छोड़े।
- जब अपनी पहली अवस्था में आना हो तो गहरी स्वाँस छोडते हुए प्रारम्भिक अवस्था में आएं।
- इस तरह से एक चक्र पूरा हुआ।
- शुरुवाती दौर में इसे 3 से 4 बार करें।
- धीरे धीरे योग का धारण समय एवं चक्र की नंबर को बढ़ाएं।
भुजंगासन के लाभ – Bhujangasana benefits in Hindi
- मधुमेह से बचाता है भुजंगासन : भुजंगासन पैंक्रियाज को सक्रिय करता है और सही मात्रा में इन्सुलिन के बनने में मदद करता है।
- शरीर को सुडौल बनाता है भुजंगासन: यह शरीर को सुडौल एवं खूबसूरत बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। यह योगाभ्यास सम्पूर्ण शरीर में खिंचाव ले कर आता है और यही नहीं शरीर के अतरिक्त चर्बी को पिघालने में बहुत मददगार है।
- भुजंगासन पेट की चर्बी कम करने के लिए : अगर इस योग को विशेषज्ञ के सामने किया जाए तो निश्चित रूप से शरीर का वजन कम होगा और आप मोटापा से नजात पा सकते हैं। इसके लिए चाहिये आप ज़्यदा से ज़्यदा खिंचाव पेट के हिस्से में लें और जहाँ तक भी हो सके इस अभ्यास को अधिक समय तक धारण करें। शीघ्र परिणाम के लिए प्रबल भुजंगासन करनी चाहिए जिसमें आप अपने शरीर को पूरी तरह से हथेली एवं पैर की अंगुली पर ले लेते हैं।
- भुजंगासन कमर दर्द कम करने के लिए : अगर इस आसान को ठीक तरह से किया जाए तो कमर दर्द में बहुत ज़्यदा राहत मिलती है। इसे नियमित रूप से किया जाए तो हमेशा हमेशा के लिए कमर दर्द से नजात मिल सकता है।
- भुजंगासन अस्थमा के लिए: यह योगभ्यास अस्थमा रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है। इससे फेफड़े में खिंचाव आता है और फेफड़े में ऑक्सीजन की प्रवेश क्षमता बढ़ जाती है।
- भुजंगासन स्त्री रोग के लिए: नियमित रूप से इस योगभ्यास को करने से बहुत सारी स्त्री रोगों जैसे सिफिलिस, गोनोरिया इत्यादि से बच सकते हैं।
- भुजंगासन थाइरोइड के लिए: जब आप इस आसान को करतें हैं और अभ्यास क्रम में यदि छत को देखते हैं तो गर्दन वाले हिस्से में अच्छा खासा खिंचाव आता है जो थाइरॉइड एवं पैराथाइरॉइड ग्रंथियों को सक्रिय करने में मददगार है और थाइरोइड जैसी समस्याओं के लिए फायदेमंद है।
- भुजंगासन स्लिप डिस्क के लिए: अगर इस योग को सही तरह से अभ्यास किया जाए तो स्लिप् डिस्क जैसी समस्याओं से नजात मिल सकती है।
- भुजंगासन पाचन के लिए: यह आसन आमासय रस के स्राव में मददगार है और बहुत सारी परेशानियों जैसे कब्ज, अपच, गैस, अम्लीयता आदि से बचाता है। यह आप की पाचन सकती को सुदृढ़ एवं प्रबल भी बनाता है ।
- भुजंगासन तनाव मुक्त के लिए: यह आसान एड्रेनैलिन ग्रंथि को प्रभावित करता है और एड्रेनैलिन हॉर्मोन के स्राव में मदद करता है और इस तरह से तनाव, चिंता, डिप्रेशन इत्यादि को कम करने में मदद करता है।
भुजंगासन की सावधानियाँ – Bhujangasana precautions in Hindi
- अधिक कमर दर्द में इस योगाभ्यास को नहीं करना चाहिए।
- अगर आप को थोड़ी बहुत कमर दर्द है तो यह योग करते समय दोनों पैरों के बीच जगह रखें ताकि कम से कम खिंचाव कमर पर पड़े।
- गर्ववती महिलाओं को इस योग के करने से बचना चाहिए ।
- हर्निया एवं अलसर से पीड़ित रोगियों को यह आसना नहीं करनी चाहिए ।
- स्लिप डिस्क तथा साइटिका वालों इस योगाभ्यास करते समय विशेष रूप से सावधानी लेनी चाहिए।
- इस आसना करने के बाद आगे झुकने वाले योग जैसे नौकासन, पवनमुक्तासन, हलासन, पर्वतासन आदि आसना करनी चाहिए।
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