भस्त्रिका प्राणायाम क्या है – Bhastrika Pranayama in Hindi
भस्त्रिका प्राणायाम भस्त्र शब्द से निकला है जिसका अर्थ होता है ‘धौंकनी’। वास्तविक तौर पर यह प्राणायाम एक भस्त्र या धौंकनी की तरह कार्य करता है। धौंकनी के जोड़े की तरह ही यह ताप को हवा देता है, भौतिक औऱ सूक्ष्म शरीर को गर्म करता है। जहाँ तक बात रही भस्त्रिका प्राणायाम की परिभाषा की तो यह एक ऐसी प्राणायाम है जिसमें लगातार तेजी से बलपूर्वक श्वास लिया और छोड़ा जाता है। जैसे लोहार धौंकनी को लगातार तेजी से चलाता है, उसी तरह लगातार तेजी से बलपूर्वक श्वास ली और छोड़ी जाती है। योग ग्रन्थ हठप्रदीपिका में इस प्राणायाम को विस्तार से समझाया गया है (2/59-65)। दूसरी योग ग्रन्थ घेरंडसंहिता में इसको इस प्रकार व्याख्या किया गया है।
भस्त्रैव लौहकाराणां यथा क्रमेण सम्भ्रमेत्।
तथा वायुं च नासाभ्यामुभाभ्यां चालयेच्छनैः।। – घें. सं. 5/75
इस श्लोक का मतलब होता है जिस तरह लोहार की धौंकनी लगातार फुलती और पिचकती रहती है, उसी तरह दोनों नासिकाओं से धीरे-धीरे वायु अंदर लीजिए और पेट को फैलाइए, उसके बाद गर्जना के साथ इसे तेजी से बाहर फेंकिए।
भस्त्रिका प्राणायाम की विधि – Bhastrika Pranayama steps in Hindi
अब बात आती है कि भस्त्रिका प्राणायाम कैसे किया जाए। यहां पर इसको सरल तौर पर समझाया गया है जिसके मदद से आप इसको आसानी से कर सकते है।
- सबसे पहले आप पद्मासन में बैठ जाए। अगर पद्मासन में न बैठ पाये तो किसी आराम अवस्था में बैठें लेकिन ध्यान रहे आपकी शरीर, गर्दन और सिर सीधा हो।
- शुरू शुरू में धीरे धीरे सांस लें।
- और इस सांस को बलपूर्वक छोड़े।
- अब बलपूर्वक सांस लें और बलपूर्वक सांस छोड़े।
- यह क्रिया लोहार की धौंकनी की तरह फुलाते और पिचकाते हुए होना चाहिए।
- इस तरह से तेजी के साथ 10 बार बलपूर्वक श्वास लें और छोड़ें।
- इस अभ्यास के दौरान आपकी ध्वनि साँप की हिसिंग की तरह होनी चाहिए।
- 10 बार श्वसन के पश्चात, अंत में श्वास छोड़ने के बाद यथासंभव गहरा श्वास लें। श्वास को रोककर (कुंभक) करें।
- फिर उसे धीरे-धीरे श्वास को छोड़े।
- इस गहरे श्वास छोड़ने के बाद भस्त्रिका प्राणायाम का एक चक्र पूरा हुआ।
- इस तरह से आप 10 चक्र करें।
भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ – Bhastrika Pranayama benefits in Hindi
- पेट की चर्बी कम करने के लिए: भस्त्रिका प्राणायाम ही एक ऐसी प्राणायाम है जो पेट की चर्बी को कम करने के लिए प्रभावी है। लेकिन इसकी प्रैक्टिस लगातार जरूरी है।
- वजन घटाने के लिए: यही एक ऐसी प्राणायाम है जो आपके वजन कम कर सकता है। लेकिन पेट की चर्बी एवम वजन कम करने के लिए यह तब प्रभावी है जब इसको प्रतिदिन 10 से 15 मिनट तक किया जाए।
- अस्थमा के लिए: भस्त्रिका प्राणायाम अस्थमा रोगियों के लिए बहुत ही उम्दा योगाभ्यास है। कहा जाता है की नियमित रूप से इस प्राणायाम का अभ्यास करने से अस्थमा कम ही नहीं होगा बल्कि हमेशा हमेशा के लिए इसका उन्मूलन हो जायेगा।
- गले की सूजन: इस योग के अभ्यास से गले की सूजन में बहुत राहत मिलती है।
- बलगम से नजात: यह जठरानल को बढ़ाता है, बलगम को खत्म करता है, नाक और सीने की बीमारियों को दूर करता है।
- भूख बढ़ाने के लिए: इसके प्रैक्टिस से भूख बढ़ाता है।
- शरीर को गर्मी देता है : हठप्रदीपिका 2/65 के अनुसार वायु, पित्त और बलगम की अधिकता से होनी वाली बीमारियों को दूर करता है और शरीर को गर्मी प्रदान करता है।
- नाड़ी प्रवाह के लिए उत्तम: यह प्राणायाम नाड़ी प्रवाह को शुद्ध करता है। सभी कुंभकों में भस्त्रिका कुंभक सबसे लाभकारी होता है।
- कुंडलिनी जागरण में सहायक: यह तीन ग्रंथियों ब्रह्मग्रंथि, विष्णुग्रंथि और रुद्रग्रंथि को तोड़ने के लिए प्राण को सक्षम बनाता है। ये ग्रंथियां सुसुम्ना में होती हैं। ये तेजी से कुंडलिनी जागृत करती हैं। (हठप्रदीपिका 2/66-67)
- श्वास समस्या दूर करना: यह श्वास से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए सबसे अच्छा प्राणायाम है।
भस्त्रिका प्राणायाम के सावधानियां – Bhastrika Pranayama precautions in Hindi
- भस्त्रिका प्राणायाम उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति को नहीं करनी चाहिए।
- हृदय रोग, सिर चकराना, मस्तिष्क ट्यूमर, मोतियाबिंद, आंत या पेट के अल्सर या पेचिश के मरीजों के ये प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
- गर्मियों में इसके बाद सितली या सितकारी प्राणायाम करना चाहिए, ताकि शरीर ज्यादा गर्म ना हो जाए।
भस्त्रैव लौहकाराणां यथा क्रमेण सम्भ्रमेत्।
तथा वायुं च नासाभ्यामुभाभ्यां चालयेच्छनैः।। – घें. सं. 5/75
इस श्लोक का मतलब होता है जिस तरह लोहार की धौंकनी लगातार फुलती और पिचकती रहती है, उसी तरह दोनों नासिकाओं से धीरे-धीरे वायु अंदर लीजिए और [पेट] को फैलाइए, उसके बाद गर्जना के साथ इसे तेजी से बाहर फेंकिए।
अविश्वसनीय लेख दोस्त! धन्यवाद