पार्श्वकोणासन योग विधि, लाभ और सावधानी 

पार्श्वकोणासन योग क्या है – Parsvakonasana in Hindi

‘पार्श्वऔ’ का अर्थ बगल होता है और ‘कोण’ का अर्थ कोण ही होता है। आसन की अंतिम मुद्रा में शरीर पार्श्वर कोण बनाता है, इसीलिए इसे पार्श्वथकोणासन कहते हैं। खड़े होकर करने वाले इस आसन के लाभ बहुत सारे हैं।  पार्श्वककोणासन स्वस्थ और तन्दुरुस्ती के लिए एक उम्दा योगाभ्यास है।  इसके नियमित अभ्यास से आप बहुत सारी स्वस्थ परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं।parsvakonasana-steps-benefits-precaution

पार्श्वकोणासन योग की विधि – Parsvakonasana steps in Hindi

  • आप सबसे पहले ताड़ आसन में खड़े हो जाएं।
  • लंबा सांस खींचें और पैरों के बीच लगभग एक मीटर की दूरी करें।
  • बांहों को ऊपर उठाते हुए कंधे तक ले जाएं।
  • दाएं पैर को दाईं ओर 90 डिग्री तक घुमाएं और बाएं पांव को बाहर की ओर फैलाते हुए इसे (बाएं पांव को) 60 डिग्री तक दाईं ओर घुमाएं।
  • दाएं पांव को घुटने से झुकाएं, जिससे जांघ एवं पिंडली के बीच समकोण बने तथा जांघ जमीन के समांतर रहे।
  • सांस छोड़ें एवं कमर से दाईं ओर झुकें तथा दाईं हाथ को नीचे पैर  की अंगुली होते हुए जमीन टेक लेकर आएं।
  • अब आपका बायां पैर और बायां हाथ एक सीध में हो और ६० डिग्री पर झुकते हुए हाथ पूरी तरह से सिर से सटा होना चाहिए।
  • मुद्रा में रीढ़ सीधी रहनी चाहिए।
  • सांस खींचें और दाईं हथेली को जमीन से उठा लें, धड़ ऊपर करें, दायां पांव सीधा करें और बांहें उठाएं तथा आरंभिक अवस्थार में वापस आ जाएं।
  • इसी प्रक्रिया के साथ यह आसन दूसरी ओर भी दोहराएं।
  • इस तरह से यह एक चक्र हुआ।
  • आप 3 से 5 चक्र करें।
  • इस योगाभ्यास का ज़्यदा से ज़्यदा फायदा लेने के लिए इसे अधिक समय तक बनाए रखने की कोशिश करें।

पार्श्वकोणासन योग के लाभ – Parsvakonasana benefits in Hindi

  1. जन घटाने के लिए: इस आसन के अभ्यास से आप शरीर के वजन को घटा कर एक शुडोल लुक ले सकते हैं।
  2. कमर की चर्बी के लिए: इस योगाभ्यास से कमर की चर्बी को बहुत हद तक कम करके कमर को खूबसूरत एवं पतली कर सकते हैं।
  3. जांघ चर्बी कम करे: इस से आप जांघ की चर्बी को कम करके इसकी सौंदर्य को बड़ा सकते हैं।
  4. स्वस्थ ह्रदय: यह आसन हृदय की पेशियों को मजबूत करता है।
  5. पाचन : यह पाचन क्रिया को सुधारता है।
  6. टखने और घुटने: यह टखने और घुटने को मजबूत बनाने में एक अहम भूमिका निभाता है।
  7. सीने के फैलाव में: यह चेस्ट के विस्तार में मददगार है और सीने से सम्बंधित परेशानियों को कम करता है।
  8. साइटिका: साइटिका वाले मरीजों को इस आसन का अभ्यास करनी चाहिए।
  9. गठिया: इस आसन के करने से गठिया में लाभ होता है।
  10. कब्ज: कब्ज को कम करने में सहायक है।

पार्श्वकोणासन योग की सावधानी – Parsvakonasana precautions in Hindi

  • पार्श्वकोणासन योग तब नहीं करनी चाहिए जब घुटने में दर्द हो।
  • कमर दर्द में भी इसका अभ्यास न करें।
  • साइटिका वाले मरीजों को इसका अभ्यास किसी विशेषज्ञ के सामने करना चाहिए।

 

3 thoughts on “पार्श्वकोणासन योग विधि, लाभ और सावधानी ”

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