डायबिटीज से बचने के लिए क्या खाएं और क्या न खाएं

डायबिटीज क्या है । Diabetes in hindi

संपूर्ण जनसंख्या और सभी आयु वर्ग में मधुमेह सबसे आम अंतः स्रावी रोगों में से एक है। यह एक स्थायी मेटाबोलिज्म रोग भी है जिसमें इंसुलिन नामक हार्मोन की कमी अथवा प्रभावहीनता के कारण शरीर कार्बोहाइडेªट, वसा एवं प्रोटीन का मेटाबोलिज्म नहीं कर पाता। इस रोग में शरीर शर्करा का उपयोग नहीं कर पाता है। ग्लूकोज़ शरीर के सभी कार्यों हेतु ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। पाचन के पश्चात्, यह रक्त में घुल जाता है जहाँ कोशिका ऊर्जा एवं वृद्धि हेतु इसका इस्तेमाल करती है। इसके उपयोग के लिए, शरीर में इंसुलिन नामक हार्मोन उचित मात्रा में होना चाहिए, जिसका उत्पादन अग्न्याशय (पैंक्रियाज़) द्वारा किया जाता है। अग्न्याशय में उचित मात्रा में इंसुलिन उत्पन्न न करने के कारण रक्त से ग्लूकोज का ग्रहण कम हो जाता है और इसलिए रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। मधुमेह (डायबिटीज मेलीटस) एक ही बीमारी नहीं है, बल्कि हाइपरग्लेसेमिया के सामान्य लक्षण साझा करने वाले चयापचय संबंधी विकारों का एक समूह है। मधुमेह में हाइपरग्लेसेमिया इंसुलिन स्राव में दोष, इंसुलिन क्रिया या सबसे अधिकतर दोनों में दोष का परिणाम होता है। क्रोनिक हाइपरग्लेसेमिया और अटेंडेंट मेटाबाॅलिक डिस्रेग्यूलेशन विभिन्न शारीरिक तंत्रों विशेष रूप से गुर्दे, आंख, तंत्रिकाओं और रक्त वाहिकाओं की खराबी से जुड़े हो सकते हैं।

डायबिटीज से बचने के लिए क्या खाएं और क्या न खाएं
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डायबिटीज का डायग्नोसिस । Diabetes  diagnosis in hindi

आमतौर पर रक्त ग्लूकोज के मूल्य सामान्यतः 70-120 मिलीग्राम/डीएल में एक बहुत ही सीमित सीमा में बनाए जाते हैं। मधुमेह का निदान तीन मानदंडों में से किसी एक द्वारा रक्त ग्लूकोज की अधिकता को ध्यान में रखते हुए स्थापित किया गया है

  • रैंडम ग्लूकोज > 200 मिलीग्राम/डीएल
  • फास्टिंग ग्लूकोज >126 मिलीग्राम/डीएल एक से अधिक अवसर पर।
  • एक असामान्य मौखिक ग्लूकोज सहिष्णुता परीक्षण (ओजीटीटी), जिसमें ग्लूकोज >200 एमजी/डीएल। 2 घंटे एक मानक कार्बोहाइड्रेट भार के बाद।

 

डायबिटीज का वर्गीकरण । Diabetes types in hindi

मधुमेह के बहुसंख्यक मामले दो श्रेणियों में से किसी एक के अंतर्गत आते हैं।

  • टाइप 1 मधुमेह को अग्न्याशय की आवर्ण कोशिकाओं (इमजं बमससे) के भंजन के कारण इंसुलिन के नितांत अभाव से वर्गीकृत किया जाता है। संपूर्ण मामलों के 10 प्रतिशत इसके अंतर्गत आते हैं।
  • टाइप 2 मधुमेह इंसुलिन कार्रवाई के लिए परिधीय प्रतिरोध के संयोजन के कारण अग्नाशयी बीटा कोशिकाओं द्वारा एक अपर्याप्त स्राविक प्रतिक्रिया है। लगभग 80 प्रतिशत से 90 प्रतिशत रोगियों को टाइप 2 मधुमेह है।

 

मधुमेह का कारण । diabetes causes in hindi

  • सेल दोष
  • अंतर्गर्भाशयी विकास मंदता
  • इंसुलिन प्रतिरोध जीन
  • मोटापा जीन
  • इंसुलिन प्रतिरोध $ इंट्राबडोमोनिक मोटापा
  • पश्चिमी जीवन शैली
  • क्षीण ग्लूकोज सहनशीलता
  • ग्लूकोज विषाक्तता
  • गैर इंसुलिन निर्भर मधुमेह मेलेटस
  • मेटाबोलिक इंसुलिन प्रतिरोध
  • मधुमेह की अवधि (साल में)

 

डायबिटीज लक्षण।Diabetes symptoms in hindi

  • पाॅलीयूरिया – बहुमूत्रता
  • पाॅलीफेजिया- भूख में वृद्धि
  • पाॅलीडिप्सिया- प्यास में वृद्धि
  • वजन कम होना
  • अत्यधिक मूत्र विसर्जन के कारण शरीर में पानी की कमी
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी

 

मधुमेह रोगियों द्वारा अनुभव की जाने वाली समस्याएँ।

  • हृदयाघात, आघात
  • पैर की गैंग्रीन
  • संक्रमण/फोड़े का बार-बार होना
  • दृष्टि में तीव्र क्षय तथा दृष्टिहीनता
  • यौन समस्याएँ
  • गुर्दे की समस्याएँ
  • दृष्टि का धुंधला होना अथवा द्विगुण दृष्टि (डिप्लोपिया)

 

मधुमेह के साथ संबंधित दीर्घकालिक समस्याएँ

  • रेटिनापैथी- रक्त ग्लूकोज़ के स्तर के कारण रक्त कोशिकाएँ और आँखों के लेंस सूजकर फैल जाते हैं जिसका परिणाम होता है- दृष्टि में विकृति।
  • नेफ्रोपैथी- गुर्दों की खराबी।
  • न्यूरोपैथी- जब रक्त शर्करा बहुत अधिक हो जाती है तो यह तंत्रिका पीड़ा उत्पन्न कर सकती है (विशेषकर पैरों में)।

 

डायबिटीज को कैसे ठीक करें। Diabetes treatment in hindi

  • मधुमेह के उपचार के लिए प्रमुख उपकरण हैं आहार, व्यायाम तथा लक्षणों को नियंत्रित रखने के लिए उपयुक्त औषधि प्रयोग।
  • इंसुलिन रक्त से अधिकतर कोशिकाओं (प्राथमिक रूप से मांसपेशियों और वसा कोशिकाओं में परंतु केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं में नहीं) में ग्लूकोज़ के ग्रहण को नियंत्रित करने वाला प्रमुख हार्मोन है। अतः इंसुलिन की कमी अथवा इसके अभिग्राहकों की असंवेदनशीलता मधुमेह के हर प्रकार में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
  • भोजन में मौजूद कार्बोहाइड्रेट कुछ ही घंटों के भीतर मोनोसैक्राइड ग्लूकोज में बदलते हैं। यह रक्त में पाया जाने वाले प्रमुख कार्बोहाइड्रेट है और शरीर द्वारा ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है। सबसे महत्त्वपूर्ण अपवाद फ्रॉक्टोस, अधिकतर डाईसेक्राइड (सूक्रोज को छोड़कर और कुछ लोगों में लैक्टोज) और सभी जटिल पॉलीसेकेराइड हैं जिसमें स्टार्च एक उत्कृष्ट अपवाद है। आमतौर पर खाने के बाद रक्त शर्करा के बढ़ते स्तरों की प्रतिक्रियास्वरूप अग्न्याशय में लैंगरहंस के आटेलेट में पाए जाने वाले इंसुलिन को बीटा कोशिकाओं द्वारा रक्त में छोड़ दिया जाता है। शरीर की कोशिकाओं की लगभग दो तिहाई कोशिकाओं द्वारा ईंधन, भोजन और संग्रहण हेतु ग्लूकोज का रक्त से अवशोषण करने के लिए इंसुलिन का उपयोग किया जाता है।
  • जिगर और मांसपेशी कोशिकाओं में आंतरिक भंडार के लिए ग्लाइकोजन से ग्लूकोज के रूपांतरण के लिए भी इंसुलिन प्रमुख नियंत्रण संकेत है। ग्लूकोज के कम स्तर के दो परिणाम होते हैं बीटा कोशिकाओं से इंसुलिन का कम स्रवण और जब ग्लूकोज का स्तर कम होता है तो ग्लाइकोजन का ग्लूकोज के रुप में उत्क्रम रूपांतरण। यह मुख्य रुप से हार्मोन ग्लूकाजन द्वारा नियंत्रित होता है जो इंसुलिन के विपरीत तरीके से काम करता है। इस प्रकार जिगर द्वारा पुनर्प्राप्त ग्लूकोज रक्त में पुनः शामिल हो जाता है; मांसपेशी कोशिकाओं में आवश्यक निर्यात तंत्र की कमी होती है।
  • इंसुलिन का उच्च स्तर कोशिका की वृद्धि और विभाजन , प्रोटीन संश्लेषण और वसा संग्रहण जैसी कुछ एनाबॉलिक प्रक्रियाओं (निर्माणकारी प्रक्रियाओं) में वृद्धि करता है। इंसुलिन (या इसकी कमी) चयापचय की कई द्विदिश प्रक्रियाओं को अपाचिक रूप से एक एनाबॉलिक दिशा में परिवर्तित करने और इसके विपरीत करने के लिए प्रमुख संकेत है। विशेष रूप से इंसुलिन का निम्न स्तर किटोसिस (वसा जलने वाले चयापचय चरण) में प्रवेश या छोड़ने के लिए उद्वेलक होता है।
  • यदि उपलब्ध इंसुलिन की मात्रा अपर्याप्त है, यदि इंसुलिन के प्रभावों की ओर कोशिकाएं उपयुक्त प्रतिक्रिया नहीं देतीं या यदि इंसुलिन स्वयं दोषपूर्ण है, तो ग्लूकोज उन कोशिकाओं द्वारा ठीक से अवशोषित नहीं किया जाएगा जिन्हें इसकी आवश्यकता होती है और न ही इसे यकृत और मांसपेशियों में प्रभावी रूप से संग्रहीत किया जाएगा। शुद्ध प्रभाव स्वरूप लगातार उच्च स्तर के रक्त ग्लूकोज, खराब प्रोटीन संश्लेषण और चयापचय से संबंधित अन्य समस्याएं जैसे कि अम्लरोग होते हैं।

 

टाइप 1 मधुमेह (डायबिटीज मेलेटस) के पैथोजेनेसिस

बीटा कोशिकाओं के प्रतिरक्षीय औषधीय विनाश के कारण इंसुलिन की भारी कमी के परिणाम स्वरूप मधुमेह का यह प्रकार दिखाई देता है। टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें खराब परिभाषित बीटा सेल एंटीजन के खिलाफ टी लिम्फोसाइट्स द्वारा प्रतिक्रिया के कारण लैंजरहंैस के आइलेट्स का विनाश होता है।

 

टाइप 2 डायबिटीज मेलेटस के पैथोजेनेसिस

पर्यावरणीय कारक जैसे कि जीवनशैली की गतिहीनता और आहार की आदतों ने मधुमेह की घटनाओं की वृद्धि में एक भूमिका निभाई है। कभी-कभी इस प्रकार में आनुवांशिक कारक प्रकार 1 मधुमेह से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण होते हैं।  दो मेटाबोलिज्म दोष जो टाइप 2 डायबिटीज को वर्गीकृत करते हैं-

  • परिधीय ऊतकों में इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया देने की क्षमता का कम होना।
  • बीटा कोशिकाओं की शिथिलता जो इंसुलिन प्रतिरोध के चेहरे में अपर्याप्त इंसुलिन स्राव के रूप में प्रकट होती है, वह प्राथमिक घटना है और इसके बाद बीटा सेल रोग की डिग्री बढ़ जाती है।

 

इंसुलिन प्रतिरोध

इंसुलिन प्रतिरोध मांसपेशियों और वसा ऊतकों में ग्लूकोज के कम ग्रहण और हार्मोन द्वारा हेपेटिक ग्लूकोनेओजेनेसिस को निष्प्रभावी करने की असमर्थता की ओर ले जाता है। इंसुलिन प्रतिरोध वाले व्यक्तियों में कार्यात्मक अध्ययन ने इंसुलिन सिग्नलिंग मार्ग की कई मात्रात्मक और गुणात्मक असामान्यताओं को प्रदर्शित किया है।

 

बीटा सेल निष्क्रियता

टाइप 2 डायबिटीज में बीटा सेल की शिथिलता, परिधीय इंसुलिन प्रतिरोध तथा इंसुलिन स्राव में वृद्धि की लंबी अवधि की मांग के प्रति स्वयं को अनुकूल न बना पाने की इन कोशिकाओं की अक्षमता को दर्शाती है। कई तंत्र बीटा सेल के विनाश में योगदान करते हैं।

  • टी लिम्फोसाइट्स बीटा सेल के विनाश के खिलाफ प्रतिक्रिया करते हैं।
  • स्थानीय रूप से निर्मित साइटोकिन्स बीटा कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं।
  • 70 से 80 प्रतिशत रोगियों के रक्त में आइलेट कोशिकाओं के खिलाफ ऑटो एंटीबॉडी और इंसुलिन भी पाए जाते हैं।

 

मोटापा और इंसुलिन प्रतिरोध

मोटापा और मधुमेह के बीच का लिंक इंसुलिन प्रतिरोध पर प्रभाव के माध्यम से मध्यस्थता है। हाइपरग्लेसेमिया से असंबद्ध साधारण मोटापे में भी इंसुलिन प्रतिरोध मौजूद होता है, जिससे अतिरिक्त वसा के क्षेत्रों में इंसुलिन सिगनल की मौलिक असामान्यता का संकेत मिलता है। शरीर द्रव्यमान सूचकांक (शरीर की वसा का मापक) वृद्धि के साथ डायबिटीज की वृद्धि के लिए जोखिम में वृद्धि होती है। न केवल पूर्ण मात्रा का बल्कि शरीर में वसा के वितरण का भी इंसुलिन संवेदनशीलता पर प्रभाव पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि परिधीय मोटापे की तुलना में केंद्रीय मोटापा इंसुलिन प्रतिरोध से अधिक जुड़ा होता है।

 

आहार से डायबिटीज का रोकथाम। Diabetes prevention through diet in hindi

रोग की गंभीरता, क्रिया और मेटाबोलिज्म क्रियाओं के अनुसार यह भिन्न होता है। मधुमेह को आहार से कुछ इस प्रकार नियंत्रित के लिए कुछ मूलभूत सिद्धांत हैंः

  • कैलोरी का ग्रहण रोगी के वजन को घटाने अथवा बढ़ाने में सहायक होना चाहिए (जैसी आवश्यकता हो)।
  • आहार में दी जाने वाली प्रोटीन की मात्रा सामान्य होती है।
  • अम्लरक्तता से बचाने के लिए उचित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होना चाहिए।
  • भोजन में रेशों की अधिक मात्रा रक्त में ग्लूकोज़ की मात्रा को बढ़ने से रोककर मधुमेह पर नियंत्रण रखता है। यह रक्त कोलेस्ट्राल और ट्राईग्लिसराइड को कम करता है तथा वजन घटाने में सहायक है।

 

आहार जिनको खाना नहीं चाहिए

  • जड़युक्त सब्जियाँ आलू, रतालू इत्यादि।
  • तले हुए खाद्य पदार्थ और मीठा।
  • शीतल पेय और अल्कोहल युक्त पेय।
  • आम, केला, चीकू, शरीफा, अंगूर और खजूर जैसे फल।
  • तैलीय, तले हुए, ठण्डे तथा फास्ट फूड से बचाव किया जाना चाहिए।

 

डायबिटीज का यौगिक प्रबंधन। Diabetes yoga in hindi

विभिन्न शोधों में डाइबिटीज के प्रबंधन में यौगिक अभ्यासों को लाभदायक पाया गया है। मधुमेह के नियंत्रण के यौगिक प्रबंधन के दो उद्देश्य हैं- पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन करने के लिए अग्न्याशय की कोशिकाओं को सक्रिय करना। इंसुलिन प्रतिरोध को समाप्त करना।

  • क्रियाएँ- कुंजल, वस्त्रधौती, कपालभाति, अग्निसार और नौली
  • आसन- ताड़ासन, कटिचक्रासन, पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, मत्स्यासन, हलासन, उष्ट्रासन, गोमुखासन, अर्धमत्स्येंद्रासन, मण्डूकासन, पश्चिमोत्तानासन, भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, शवासन
  • प्राणायाम- नाड़ीशोधन, सूर्यभेदन, भस्त्रिका और भ्रामरी
  • बंध- उड्डीयान बंध
  • ध्यान- श्वास के प्रति सजगता, ओम उच्चारण तथा ओ३म् ध्यान

 

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