प्राणायाम के 10 प्रकार । 10 Types of Pranayama

नाड़ीसोधन प्राणायाम। Nadishodhan Pranayam in Hindi

नाड़ीसोधन प्राणायाम को अनुलोम-विलोम भी कहा जाता है। शास्त्रों में नाड़ीसोधन प्राणायाम या अनुलोम-विलोम को अमृत कहा गया है और स्वास्थ्य लाभ में इसका महत्व सबसे ज़्यदा है। इस प्राणायाम में आप बाएं नासिका छिद्र से सांस लेते हैं, सांस को रोकते हैं और फिर धीरे धीरे दाहिनी नासिका से श्वास को निकालते हैं। फिर दाहिनी नासिका से सांस लेते हैं, अपने हिसाब से सांस को रोकते हैं और धीरे धीरे बाएं नासिका से सांस को छोड़ते हैं। यह एक चक्र हुआ।  इस तरह से आप शुरुवाती समय में 5 से 10 बार करें फिर धीरे धीरे इसको बढ़ाते रहें।

नाड़ीसोधन प्राणायाम के लाभ अनेकों है जैसे  चिंता एवं तनाव कम करने में; शांति, ध्यान और एकाग्रता में; शरीर में ऊर्जा का मुक्त प्रवाह करने में; प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में ; इत्यादि।Surya Bhedana Pranayama in Hindi

 

भस्त्रिका प्राणायाम। Bhastrika pranayama in Hindi

 

भस्त्रिका भस्त्र शब्द से निकला है जिसका अर्थ होता है ‘धौंकनी’। इस प्राणायाम में श्वास तेजी से लिया जाता है,सांस को रोकते हैं और बलपूर्वक छोड़ा जाता है। वैसे तो यह प्राणायाम शरीर को स्वस्थ रखने के लिए काफी प्रभावी है लेकिन ह्रदय रोगी, उच्च ब्लड प्रेशर एवं एसिडिटी में इसको करने से बचना चाहिए।

भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ कुछ इस प्रकार है। पेट की चर्बी कम करने के लिए, वजन घटाने के लिए, अस्थमा के लिए, गले की सूजन कम करने में, बलगम से नजात में, भूख बढ़ाने के लिए, शरीर में गर्मी बढ़ाने में, कुंडलिनी जागरण में, श्वास समस्या दूर करने में, आदि में इसका बहुत बड़ा प्रभावी रोल माना जाता है।

 

उज्जयी प्राणायाम।Ujjayi pranayama in Hindi

 

उज्जयी प्राणायाम के फायदे के बारे में अगर आप जान जाएं तो बिना प्रैक्टिस किये इसको आप रह नहीं सकते। यह एक ऐसी प्राणायाम है जिसका नियमित अभ्यास से आप एजिंग प्रोसेस को धीमा कर सकते हैं।  इसमें दोनों नासिकाओं से धीरे धीरे सांस लिया जाता है, सांस को रोका जाता हैं  और सांस छोड़ते हुए दाएं नासिका को बंद कर बायीं नासिका से सांस को धीरे धीरे निकाला जाता है। जब दोनों नासिका से सांस लिया जाता है तो गर्दन के थाइरोइड वाले हिस्से को कंपन कराके ध्वनि उत्पन्न की जाती है। यह आवाज ही उज्जयी प्राणायाम को एक अहम स्थान देता है।

उज्जयी प्राणायाम के लाभ: शास्त्रों में लिखा गया है के जो मनुष्य नियमित रूप से इस प्राणायाम का अभ्यास करता है उसे मृत्यु भी जल्द नहीं आती।  यह प्राणायाम बहुत लंबे समय तक आपको जवां रखता है, थाइरोइड रोगियों के लिए उपयुक्त है, पैराथाइरॉइड को स्वस्थ रखता है, मस्तिष्क को ठंड पहुंचाता है, शरीर में ऊर्जा प्रवाह में मदद करता है, गले से बलगम को हटाता है, हृदय रोगियों के लिए अच्छा है, इत्यादि ।

 

सूर्य भेदन प्राणायाम । Surya bhedana pranayama in Hindi

सूर्य भेदना प्राणायाम में श्वास दाहिनी नासिका से लिया जाता है, सांस को रोका जाता हैं और बायीं नासिका से छोड़ा जाता है। इस प्राणायाम उनको नहीं करनी चाहिए जिनका ब्लड प्रेशर ज़्यदा हो।

सूर्य भेदन प्राणायाम के लाभ: बुढ़ापे को टालता है, पेट के कीड़ों को नष्ट करता है, वायु से होने वाले विकार दूर करता है, सिर दर्द कम करने में , कुंडलिनी शक्ति जागरण में, निम्न रक्तचाप को बढ़ाने में , सांस की समस्या कम करने में मदद करता है।

 

शीतकारी प्राणायाम । Sheetkari pranayama in Hindi

शीतकारी प्राणायाम में सांस लेने के दौरान ‘सि’ की आवाज निकलती है। शीत का मतलब होता है ठंडकपन और ‘कारी’ का अर्थ होता है जो उत्पन्न हो। इस प्राणायाम के अभ्यास से शीतलता का आभास होता है।  इस प्राणायाम का अभ्यास गर्मी में ज़्यदा से ज़्यदा करनी चाहिए और शर्दी के मौसम में नहीं के बराबर करनी चाहिए।

 

शीतकारी प्राणायाम के लाभ: इसके फायदे निम्नलिखित है।  तनाव कम करने में, चिंता कम करने में, डिप्रेशन के लिए प्रभावी, गुस्सा कम करने में, भूख और प्यास के नियंत्रण में, रक्तचाप कम करने में, जननांगों में हार्मोन्स के स्राव में, मन को शांत करने में, आदि।

 

शीतली प्राणायाम। Sheetli pranayama in Hindi

 

शीतली का अर्थ है शीतल। इसका अर्थ शांत होता है। यह प्राणायाम पूरे शरीर को शीतल करता है। इस प्राणायाम का अभ्यास गर्मी में ज़्यदा से ज़्यदा करनी चाहिए और शर्दी के मौसम में नहीं के बराबर करनी चाहिए।

 

शीतली प्राणायाम लाभ: तनाव कम करने में, चिंता को दूर भागने में, डिप्रेशन के लिए रामबाण है, क्रोध कम करने में , प्यास की चाहत कम करने में, रक्तचाप कम करने में, अपच से राहत दिलाने में, आंखों और त्वचा के स्वस्थ, आदि में काम आता है।

 

भ्रामरी प्राणायाम। Bhramri pranayama in Hindi

 

भ्रामरी शब्द की उत्पत्ति ‘भ्रमर’ से हुई है जिसका अर्थ होता है गुनगुनाने वाली काली मधुमक्खी। इसके अभ्यास के दौरान नासिका से गुनगुनाने वाली ध्वनि उत्पन्न होती है इसलिए इसका नाम भ्रामरी पड़ा है।

 

भ्रामरी प्राणायाम के लाभ: मस्तिष्क को शांत करने में, तनाव कम करने में , क्रोध कम करने में, समाधि का अभ्यास, चिंता को दूर करने में, डिप्रेशन को कम करने में और मन को शांत करने में

 

प्लाविनी प्राणायाम । Plavini pranayama in Hindi

 

संस्कृत भाषा में प्लावन का अर्थ है तैरना। इस प्राणायाम के अभ्यास से कोई भी व्यक्ति जल में कमल के पत्तों की तरह तैर सकता है इसलिए इसका नाम प्लाविनी पड़ा। इसके अभ्यास में अपनी साँस को इच्छानुसार रोककर रखा जाता है इसलिए इस प्राणायाम को केवली या प्लाविनी प्राणायाम कहा जाता है|

 

प्लाविनी प्राणायाम के लाभ: ध्यान के लिए अच्छा प्राणायाम, पाचनशक्ति को बढ़ाने में, आयु बढ़ाने में, मन शांति में , तनाव को कम करने में,

चिंता कम करने के लिए, मेमोरी को बढ़ाने में और तैरने में सहायक

 

मूर्छा प्राणायाम । Murcha pranayama in Hindi

संस्कृत भाषा में मूर्छा का अर्थ होता है सभी मानसिक गतिविधियों के निलंबन की अवस्था। मूर्छा प्राणायाम आपको तनाव, चिंता एवं डिप्रेशन से बचाता है और साथ ही साथ मानसिक समस्याओं एवं नपुंसकता से प्रभावित रोगियों के लिए भी असरदार है।

 

कपालभाति प्राणायाम। Kapalbhati pranayama in Hindi

 

‘कपाल’ का अर्थ है खोपड़ी और भाति का अर्थ होता है चमकना। कपालभाति एक ऐसी प्राणायाम है जिसके प्रैक्टिस से  सिर तथा मस्तिष्क की क्रियाओं को नई जान आ जाती है।  हृदय रोग, चक्कर की समस्या, उच्च रक्तचाप, हर्निया तथा आमाशाय के अल्सर होने पर इस प्राणायाम को नहीं करनी चाहिए।

कपालभाति के लाभ: वजन घटाने में, त्वचा में निखार लाने में, बालों को सफेद होने से रोकने में , अस्थमा को कम करने में, बलगम कम करने में,  साइनसाइटिस के उपचार में, पाचन क्रिया को सुधारने में , फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने में,  कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने में, कब्ज की शिकायत को दूर करने  आदि में काम आता है।

 

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